शुगर को जड़ से खत्म कैसे करें?

डाइबिटीज (मधुमेह) क्या है? डायबिटीज यानी शुगर की बीमारी । डाइबिटीज को साइलेंट और पोटेंशियल किलर दोनों कहते हैं । साइलेंट किलर इसलिए, क्योंकि इसके लक्षणों को नजरअंदाज करना आसान है । पोटेंशियल किलर इसलिए, क्योंकि रक्त में शुगर का उच्च स्तर जहर के समान कार्य करता है और इस कारण शरीर के कई अंग क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।

बदलते लाइफस्टाइल में यह रोग इतनी तेजी से फैल रहा है कि ज्यादातर लोग इसकी चपेट में आते चले जा रहे है। यह रोग ऐसा है कि इससे खून में शुगर की मात्रा अधिक हो जाती है, जिससे शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है। यह बीमारी काफी गंभीर है जो आगे चलकर कई बीमारियों की जड़ बनती है । अगर शुगर के मरीज को कोई घाव भी लग जाए तो वह जल्दी से भरने का नाम नहीं लेता । शुगर के मरीज को दवाईयों और टीकों के सहारे जीना पड़ता है लेकिन इस रोग के कुछ घरेलू नुस्खे भी है जिससे इस रोग को जड़ से खत्म किया जा सकता है।

शुगर को जड़ से खत्म कैसे करें ?
शुगर को जड़ से खत्म कैसे करें ?

जानते हैं डाइबिटीज के लक्षणों के बारे में-

आपको मधुमेह की बीमारी है या नहीं, इस बात का पता आप निम्न संकेतों से समझ सकते हैं –

• जल्दी थकान होना
• तेजी से वजन कम होना
• ज्यादा या बार-बार प्यास लगना
• बार-बार पेशाब आना
• घाव और चोंट ठीक होने में ज्यादा वक्त लगना
• खाना खाने के बाद भी भूख लगना
• नजर कमजोर होना
• हाथ-पैरों में झुनझुनी या अकड़न रहना
• त्वचा या मसूड़ों का संक्रमण
• खुजली होना

डाइबिटीज के प्रकार (types of diabetes)-

डाइबिटीज मुख्यत: तीन प्रकार की होती है । टाइप 1 डाइबिटीज, टाइप 2 डाइबिटीज और गेस्टैशनल डाइबिटीज । वैसे इसके एक और प्रकार टाइप 1.5 के मामले भी सामने आ रहे हैं ।

(1) टाइप 1 डाइबिटीज –

इससे पीड़ित लोगों में या तो इंसुलिन का निर्माण नहीं होता या फिर बहुत कम मात्रा में होता है । यह किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को हो सकती है, लेकिन बच्चे और युवा इसके ज्यादा शिकार होते हैं । इसमें रक्त में ग्लूकोज का स्तर नियंत्रित रखने के लिए इंसुलिन का इंजेक्शन लेना पड़ता है ।

(2) टाइप 1.5 डाइबिटीज –

इसे टाइप 3 डाइबिटीज के नाम से भी जाना जाता है । यह अधिकतर वयस्क लोगों को ही होती है । डाइबिटीज के इस प्रकार को मैनेज करने के लिए तुरंत इंसुलिन की आवश्यकता नहीं होती । जिन लोगों में टाइप 2 डाइबिटीज का पता चलता है, उनमें से वास्तव में 15-20 प्रतिशत लोगों को 1.5 टाइप डाइबिटीज होती है । टाइप 1.5 उन लोगों को भी हो सकती है, जिनका भार औसत है और जो फिट दिखते हैं । अगर इनके रक्त में शुगर नियंत्रण में रहे तो इनमें हृदय संबंधी रोगों का खतरा भी टाइप 1 और टाइप 2 की तुलना में कम हो जाता है ।

(3) टाइप 2 डाइबिटीज –

पूरी दुनिया में डाइबिटीज से पीड़ित लोगों में 90 प्रतिशत टाइप 2 डाइबिटीज से पीड़ित हैं । इसमें रक्त में शुगर का स्तर अनियंत्रित हो जाता है । मोटापे और टाइप 2 डाइबिटीज का सीधा संबंध होता है । इसके लक्षण टाइप 1 के समान ही, लेकिन कम गंभीर होते हैं, इसलिए शुरू होने के कई वर्षों बाद तक इसका पता नहीं चल पाता ।

(4) गेस्टैशनल डाइबिटीज –

गेस्टैशनल डाइबिटीज हाइपर ग्लैसिमिया है, जो सबसे पहले गर्भावस्था के दौरान पहचानी जाती है । इसके लक्षण टाइप 2 डाइबिटीज के समान ही होते हैं। अगर गर्भवती महिला डाइबिटीज की शिकार हो जाए तो यह मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए खतरा होता है । इससे बच्चे का वजन और आकार दोनों ज्यादा हो सकता है । सामान्य डिलीवरी में समस्याएं आ सकती हैं । डाइबिटीज नियंत्रण में न रहे तो डिलीवरी के बाद बच्चे को सांस की तकलीफ भी हो सकती है। उसके रक्त में शुगर का स्तर बढ़ सकता है, उसे पीलिया भी हो सकता है ।

डाइबिटीज को खत्म करने के लिए हल्दी के इन उपायों को अपनाइये –

आप चाहें तो हल्दी की मदद से भी इसे मात दे सकते हैं । तो चलिए जानते हैं इसके बारे में –

ऐसे है लाभदायक –

हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन नामक तत्व एक एंटी−डायबिटीक इफेक्ट छोड़ता है । दरअसल, यह रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है, जिससे व्यक्ति मधुमेह से आसानी से लड़ सकता है । करक्यूमिन ग्लूकोज लेवल को कम करता है और मधुमेह व उससे संबंधित परेशानियों को कम करता है।

हल्दी की जड़ का अर्क –

हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन तत्व टाइप 2 डायबिटीज को रोकता है । साथ ही हल्दी की जड़ का अर्क भी ग्लूकोज को कम करने के साथ−साथ इंसुलिन प्रतिरोध को कम करता है । जब हमारे शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध होता है तो व्यक्ति का शरीर इंसुलिन के प्रति ठीक से प्रतिकि्रया नहीं करता और रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ता है । लेकिन हल्दी की जड़ का अर्क इस इंसुलिन प्रतिरोध को कम कर सकता है । इसके लिए आप किसी भी फार्मेसी से यह अर्क ले सकते हैं या फिर मार्केट में इसे कैप्सूल भी मौजूद हैं । डॉक्टर की सलाह पर उनका सेवन भी किया जा सकता है ।

आंवला और हल्दी –

आंवला और हल्दी का मिश्रण मधुमेह को नियंत्रित करता है । आंवला को हाई ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए एक प्राकृतिक उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है । इसमें क्रोमियम पाया जाता है, जो कार्बोहाइडेट मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है और शरीर की कोशिकाओं को इंसुलिन के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है । साथ ही आंवला मधुमेह रोगियों के कोलेस्टॉल लेवल को भी सही बनाए रखता है, जिससे मधुमेह रोगी को डायबिटीक संबंधी कोलेस्टॉल समस्याएं नहीं होती । इसके इस्तेमाल के लिए दो चम्मच आंवला का रस लेकर उसमें एक चुटकी हल्दी मिलाएं और प्रतिदिन सुबह इसका सेवन करें ।

दालचीनी और हल्दी –

दालचीनी भी मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी मानी गई है । इसे हल्दी के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है । इसके लिए एक चुटकी दालचीनी पाउडर व हल्दी को अपनी मील का हिस्सा बनाएं या फिर आप दालचीनी और हल्दी को दूध में मिलाकर सुबह इसका सेवन कर सकते हैं ।

डाइबिटीज की राजधानी है भारत

वर्ल्ड डाइबिटीज फाउंडेशन के अनुसार डाइबिटीज से पीड़ित हर पांच में से एक भारतीय है । इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2014 में डाइबिटीज के कुल 6 करोड़ 51 लाख रोगी थे । 2010 में यह आंकड़ा 5 करोड़ 8 लाख था । अनुमान है कि 2030 तक भारत में डाइबिटीज के रोगियों की कुल संख्या लगभग 10 करोड़ तक पहुंच जाएगी ।

मधुमेह (डायबिटीज, शुगर) का परीक्षण (Diagnosis of diabetes) –

डायबिटीज़ का पता लगाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इसके लक्षण आम स्वास्थ्य समस्याओं जैसे होते हैं । इसलिए हम डायबिटीज़ के परीक्षण के बारे में भी आपको बता रहे हैं ।

(1) ग्लूकोज फास्टिंग टेस्ट

यह ब्लड टेस्ट बहुत ही आम है । यह टेस्ट सुबह के समय बिना कुछ खाए-पिए किया जाता है । इससे ब्‍लड शुगर का सही स्तर जानने में मदद मिलती है । यह बहुत ही सुविधाजनक, सस्ता और घर पर भी किया जा सकता है ।

(2) रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट

यह ब्लड टेस्ट पूरे दिन में किसी भी समय किया जा सकता है।

(3) ए1सी टेस्ट

इस टेस्ट में हर रोज़ ब्लड शुगर का उतार-चढ़ाव चेक करने की जगह, पिछले तीन से चार महीने के लेवल का पता किया जाता है । इस टेस्ट में हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कोशिकाओं से जुड़ी ग्लूकोज की मात्रा के बारे में भी पता चलता है । इस टेस्ट में मरीज़ को फास्टिंग यानी भूखे रहने की ज़रूरत नहीं होती और यह दिन में किसी समय किया जा सकता है ।

(4) ओरल ग्‍लूकोज टॉलरेंस टेस्‍ट

इस टेस्ट के लिए कम से कम रात भर या छह से आठ घंटे कुछ खाना नहीं होता है । टेस्ट के करीब दो घंटे पहले ग्लूकोज़ का पानी पीना होता है । इसके बाद अगले दो घंटे तक ब्लड शुगर लेवल का नियमित रूप से परीक्षण किया जाता है ।

मधुमेह से बचाव के उपाय –

अपने ग्लूकोज स्तर को जांचें और भोजन से पहले यह 100 और भोजन के बाद 125 से ज्यादा है तो सतर्क हो जाएं । हर तीन महीने पर HbA1c टेस्ट कराते रहें ताकि आपके शरीर में शुगर के वास्तविक स्तर का पता चलता रहे । उसी के अनुरूप आप डॉक्टर से परामर्श कर दवाइयां लें ।

1) कम कैलोरी वाला भोजन खाएं । भोजन में मीठे को बिलकुल खत्म कर दें । सब्जियां, ताज़े फल, साबुत अनाज, डेयरी उत्पादों और ओमेगा-3 वसा के स्रोतों को अपने भोजन में शामिल कीजिये । इसके अलावा फाइबर का भी सेवन करना चाहिए ।

2) धूम्रपान और शराब का सेवन कम कर दें या संभव हो तो बिलकुल छोड़ दें ।

3) अपनी जीवनशैली में बदलाव करें और शारीरिक श्रम करना शुरू करें । जिम नहीं जाना चाहते हैं तो दिन में तीन से चार किलोमीटर तक जरूर पैदल चलें या फिर योग करें।

4) दिन में तीन समय खाने की बजाय उतने ही खाने को छह या सात बार में खाएं ।

5) आफिस के काम की ज्यादा टेंशन नहीं रखें और रात को पर्याप्त नींद लें । कम नींद सेहत के लिए ठीक नहीं है । तनाव को कम करने के लिए आप ध्यान लगाएं या संगीत आदि सुनें ।

6) नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच कराते रहें और शुगर लेवल को रोजाना मॉनीटर करें ताकि वह कभी भी लेवल से ज्यादा नहीं हो । एक बार शुगर बढ़ जाता है तो उसके लेवल को नीचे लाना काफी मुश्किल काम होता है और इस दौरान बढ़ा हुआ शुगर स्तर शरीर के अंगों पर अपना बुरा प्रभाव छोड़ता रहता है ।

7) गेहूं और जौ 2-2 किलो की मात्रा में लेकर एक किलो चने के साथ पिसवा लें । इस आटे की बनी चपातियां ही भोजन में खाएं ।

8) मधुमेह रोगियों को अपने भोजन में करेला, मेथी, सहजन, पालक, तुरई, शलगम, बैंगन, परवल, लौकी, मूली, फूलगोभी, ब्रौकोली, टमाटर, बंद गोभी और पत्तेदार सब्जियों को शामिल करना चाहिए ।

9) फलों में जामुन, नींबू, आंवला, टमाटर, पपीता, खरबूजा, कच्चा अमरूद, संतरा, मौसमी, जायफल, नाशपाती को शामिल करें । आम, केला, सेब, खजूर तथा अंगूर नहीं खाना चाहिए क्योंकि इनमें शुगर ज्यादा होता है ।

10) मेथी दाना रात को भिगो दें और सुबह प्रतिदिन खाली पेट उसे खाना चाहिए ।

11) खाने में बादाम, लहसुन, प्याज, अंकुरित दालें, अंकुरित छिलके वाला चना, सत्तू और बाजरा आदि शामिल करें तथा आलू, चावल और मक्खन का उपयोग बहुत कम करें ।

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