हवाई जहाज का फ्यूल उसके विंग्स में स्टोर क्यों किया जाता है?

हवाई जहाज में सफर करना अपने आप मे ही एक अलग अनुभव होता है और हो सकता है आपने भी हवाई जहाज में सफर किया हो। लेकिन क्या आपको ये पता है कि हवाई जहाज का ईधन उनकी मेन बॉडी में नहीं होता है बल्कि उसके विंग्स में स्टोर किया जाता है, लेकिन प्लेन का ईधन उसके विंग्स में ही स्टोर क्यों किया जाता है? चलिए आपको बताते है हवाई जहाज का ईधन उसके विंग्स में स्टोर क्यों किया जाता है।

हवाई जहाज का फ्यूल उसके विंग्स में स्टोर क्यों किया जाता है?
हवाई जहाज का फ्यूल उसके विंग्स में स्टोर क्यों किया जाता है?

हवाई जहाज में फ्यूल कहा स्टोर होता है?

हवाई जहाज का ईधन उसके विंग्स में स्टोर किया जाता है और ऐसा करने के पीछे कुछ खास कारण होते है जैसे कि बैलेंस बनाये रखने के लिए। बता दे कि किसी भी विमान का हवा में बैलेंस बनाये रखने के लिए उसका लिफ्ट फोर्स उसके वजन के बराबर होना चाहिए। एयरबस A380 एयरक्राफ्ट का टेकआफ वेट 5 लाख 40 हजार किलो तक हो सकता है। ऐसे में लिफ्ट फोर्स भी लगभग इतना ही होना चाहिए। बता दे कि विंग्स में फ्यूल होने से प्लेन पर दबाव कम हो जाता है। साथ ही फ्यूल का वजन विंग्स के वजन को बैलेंस करता है। ऐसे में विंग्स की मजबूती के लिए कम वजन के मटीरियल की जरूरत होती है। इससे प्लेन पर वजन फालतू में नहीं बढ़ता।

ऐरोप्लॅन्स के विंग्स में ही ईंधन को भरा जाता है?

आप यह बात तो जानते ही होंगे कि जब प्लेन टेकऑफ होता है तो उस समय उसमें काफी ईधन होता है, और यह उड़ान भरने के बाद धीरे धीरे कम हो जाता है, जिससे हवाई जहाज का वजन भी धीरे धीरे कम होने लगता है। हवाई जहाज का वजन कम होने से सेंटर ऑफ ग्रैविटी बदलती है, बता दे कि ये हवाई जहाज का संतुलन बनाये रखने के लिए बहुत जरूरी होती है। अब अगर ईधन हवाई जहाज की मेन बॉडी के पीछे वाले भाग में स्टोर किया जायेग तो हो सकता है कि टेकऑफ के समय सेंटर ऑफ ग्रैविटी पीछे होने से प्लेन का अगला हिस्सा उठ जाए या लैंडिंग के समय ईधन कम होने पर पिछले हिस्से का बैलेंस न बन पाएं।

हवाई जहाज के पंख यानी कि विंग्स उसको उड़ाने में मदद करने के लिए होते है। यह विंग्स खोखले हों या ठोस हो, ये एक जैसा ही काम करते है, इसी वजह से अधिकतर हवाई जहाज के विंग्स खोखले होते हैं लेकिन अगर यह ठोस होंगे तो इनसे हवाई जहाज का वजन बढेगा। बता दे कि विंग्स का करीब 90% हिस्सा खाली रहता है,और इनमे ईधन भरकर इस खाली जगह का ये काफी अच्छा इस्तेमाल होता है।

ऐरोप्लॅन्स के विंग्स में ही ईंधन को भरे जाने की अतिरिक्त वजह

अब अगर ईधन के लिए अलग से हवाई जहाज में जगह बनाई जाए तो ऐसा करने से हवाई जहाज का वजन बढेगा, साइज बढेगा और एक्स्ट्रा खर्चा भी करना पड़ेगा।

आप सभी यह तो जानते होंगे कि हवाई जहाज का ईधन काफी जल्दी और तेजी से आग पकड़ने वाला होता है, इसी वजह से प्लेन के डिजाइनर फ्यूल को पैसेंजर्स से दूर रखना चाहते हैं। लेकिन जो लंबी दूरी की उड़ाने होती है उनमें अधिकतर थोड़ा फ्यूल प्लेन की मेन बॉडी में भी रखा जाता हैं ऐसा इसलिए क्योंकि फ्यूल टैंक में लंबी दूरी के लिए एक बार में फ्यूल रखना संभव नहीं होता है, लेकिन इसकी मात्रा कम होती है और ऐसा सिर्फ मजबूरी में किया जाता है।

अधिकतर हवाई जहाज में इंजन विंग्स के नीचे होता है, और विंग्स में ईधन स्टोर होने से उसे इंजन तक पहुंचाने के लिए छोटे साइज के फ्यूल पाइप की आवश्यकता होती है। जिससे हवाई जहाज का वजन भी कम होता है और सुरक्षा के लिहाज से भी अच्छा रहता है। फ्यूल टैंक का इंजन के पास होना कुछ लोग खतरा भी मनाते है लेकिन एक्सपर्ट्स के अनुसार अगर इंजन में स्पार्किंग होती है या फिर आग लगती है तो इंजन तुरंत बंद कर दिया जाता है। क्योंकि एक इंजन से भी हवाई जहाज को उड़ाया जा सकता है। साथ ही फ्यूल पंप को भी बंद कर दिया जाता हैं जिससे आग को फैलने से रोका जा सके।

दोस्तों इस तरह की दिक्क्तों से बचने के लिए हवाई जहाज के विंग्स में फ्यूल स्टोर करना सबसे अच्छा ऑप्शन माना जाता है। तो अब आपको काफी अच्छे से समझ आ गया होगा कि क्यों फ्यूल को प्लेन के विंग्स में ही स्टोर किया जाता है, उम्मीद करते है आपको इस आर्टिकल से कुछ नया जानने को मिला होगा। आर्टिकल पसंद आये तो अपने दोस्तो के साथ साझा करें धन्यवाद।

ये भी पढ़े –

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here